Saturday 9 November 2013

यूँ तो सब कुछ जीते थे हम एक अकेले दिल से ही हारे....

हुआ है तुझसे बिछडने के बाद अब मालूम के तू नहीं था, तेरे साथ एक दुनिया थी.... ----->>> यूँ तो सब कुछ जीते थे हम एक अकेले दिल से ही हारे, पलकों से गिरे आंसू बनकर सब जो भी थे आँखों में ख्वाब हमारे, ताउम्र आँखें भी कैसे भिगोते हम एक-एक कर टूटे सब सपने बेचारे, रोज-रोज गिनती लगाना भी भूले हम पर हँसते यह चाँद और तारे , कान हमारे सुन्न हो गये वक्त के पड़े ऐसे चांटे करारे, सारे अरमान ख़ाक बन गये जो सब थे हम उन पर वारे, उसका चेहरा दिखना यूँ हुआ है जैसे सावन के हों बदरा कारे, हर दर्द को सहना पड़ा अकेले छूट गये अपने सारे सहारे, जब-जब देखा उनको हमने संजू जख्म ताज़ा हो गये फिर से सारे-------- सर से पाओ तक घायल हूँ तुम्हारी मोहब्ब्त का कायल हूँ, बजता रहता हूँ तेरे संग हरपल जैसे तेरे पैर की मै पायल हूँ, अमानत किसी की मानता अपनी हूँ तेरी चाहत में किसकदर पागल हूँ, कभी तो किनारा मिलेगा ही उनको तेरी मौजों का बस मै साहिल हूँ , कभी तू खुश हो जा मुझे देखके तेरे हर गम का मै कातिल हूँ, वैसे तो तरसते है लाखों हमको बस एक तुझको ही मै यूँ हासिल हूँ, तुझे मरके भी हम ना भूल पाएंगे कभी प्यार की दुनिया का सबसे बड़ा जाहिल हूँ, कभी भूले से याद करके तो देख हमे तेरी सांसों की तरह हरपल दाखिल हूँ, तू यूँ भी ना समझ इश्क का अज्ञानी मुझे तेरी मोहब्ब्त का कुछ तो मै फ़ाज़िल हूँ, बस यूँ समझ तू दरिया है मेरा और मै तेरा प्यासा बादल हूँ, तेरे आंसुओं में भी मिल जाउंगा मै तेरी आँखों में लगा हुआ काज़ल हूँ, तुझे हर बुरी नज़र से बचाऊंगा मै तेरे सर पे पड़ा लाज़ का आंचल हूँ, अपनी बेरुखी की आंच ना दिखा मुझे मोम की मानिंद मै बस कोमल हूँ , झूट ही कह दे एक बार की संजू तू मेरा है सारी उम्र में बस इतने को तरसता हरपल हूँ--------------

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