Friday, 25 October 2013

जिंदगी मे आ ना सके तुम जब थी ज़रूरत मुझे कब्र मैं है आज फूल भी भिजवाया क्यों.....

मोहब्बत ना थी तो रास्ता प्यार का बताया क्यों ! मुझको हसींन ख्वाब देखना तुमने सिखाया क्यों हर दम याद करती तुझे. तुझसे ही फरियाद करू अपनी बातों से अरमाँ इस दिल का जगाया क्यों बचा नहीं होंसला तुम्हें पा कर फिर खोने का चले ही जाना था तो इस दिल में घर बनाया क्यों अपनी हर मुलाकात की खुशबू अब भी ताज़ा है ! नशेमन प्यार का तुमने इस क़दर महकाया क्यों खुद ही रूठे हो मुझसे खुद ही मान भी जाते तुम यूँ रूठ कर जाना था अगर तो मुझे मनाया क्यों आँखों की ज़ुबां से कभी इज़हार किया था तुमने ये मोहब्बत का सबक तुमने मुझे पढाया क्यों जिंदगी मे आ ना सके तुम जब थी ज़रूरत मुझे कब्र मैं है आज फूल भी भिजवाया क्यों ------------¤¤¤¤¤------------------------¤¤¤¤¤------------ देखा जो एक बार तुमने मुस्करा कर न जाने क्यों लगने लगा मुझे तुम्हीं हो मेरे जीवनपथ के साथी बस फिर क्या सारी दुनिया एक ओर और तुम्हारा इंतजार एक ओर इंतजार भी कैसा जो करता रहा मुझे परेशान इस इंतजार के चक्कर में मैं ऐसा डूबा कि एक पराये को अपनाने के फेर में अपनों को दूर करता रहा वक्त ने भी खूब बदला लिया मुझसे न ही तुम आए न ही काबिल बना मैं अपनों ने भी छोड दिया साथ मेरा जीवन पथ के सुनसान रास्तों पर भटक रहा हूं अकेला तन्हा तन्हाई में सोचता हूं कि काश न देखा होता तुमने मुस्करा कर न करता मैं तुम्हारा इंतजार तो शायद आज होती सारी दुनिया मेरी मुट़ठी में नजरों के फेर ने बदल दी राहे अब किसे दूं दोष मैं यह तो मेरी ही नजरों को फेर था जो एक मुस्कराहट को समझ बैठा प्यार. ------------¤¤¤¤¤------------------------¤¤¤¤¤------------ उससे मिलना भी अब जुदाई है किस बेमुरब्बत ने चाहत बनाई है, यह शीशे सी मोहब्बत की बस्ती खुदा पत्थरों की नगरी में क्यूँ बसाई है, फूलों की खुशबु की चाह में हमे काँटों की चुभन ही हाथ आई है, वफ़ा, चाहत, मोहब्बत, आरजू, हसरत ना जाने किसके लिए आँखे भर आयीं हैं, कभी तुफानो में दरख़्त सा खड़े रहे कभी हवाओं ने हमारी रेत बनाई है, घोंसले बनाये शज़र पे फिर भी नही आये यह परिंदे भी बहुत हरजाई है , तमन्ना थी प्यार के समन्दर में जीने की बस कुछ ओस की बुँदे हिस्से में आई है , न ही कैद होती है न ही रिहाई मिलती है न जाने यह कैसी सजा इस संजू ने पाई है.. ------------¤¤¤¤¤------------------------¤¤¤¤¤------------ Mout Mangte Hai To Zindagi Khafa Ho Jaati Hai, Zehar Late Hai To Wo Bhi Dawa Ho Jaati Hai, Tu Hi Btaa Aye Mere Dost Kya Karun, Jisko Bhi Chahte Hai Wo Bewafa Ho Jaati Hai......... ------------¤¤¤¤¤------------------------¤¤¤¤¤------------ तू कही भी रहना प्यारे पर तू हमेशा मेरी ही रहेगी तू चाहे समंदर बन जाना पर तू मेरी ही आँखों से बहेगी तेरा जिस्म किसी का हो पर तेरी रूह मेरी रहेगी जब-जब बहार आएगी धरा पे तू मेरे गुलशन में ही महकेगी, यूँ तो रोज़ तेरा सवेरा होगा हर शाम में मेरी तू ढलेगी, जब-जब सावन बरसेगा मेरे सीने में तू जलेगी हर पल हंसती रहना तू बस कली सी मेरी हर आंसू की बूंद यही कहेगी, यूँ तो मै खुदा के दर पे नही जाता पर तू हमेशा मेरी फ़रियाद ही रहेगी मिट तो मै रोज़ ही जाता हूँ विछोह में पर तेरी बेरुखी ही मुझे जिन्दा रखेगी, तेरी चाहत की हसरत में 'अनु' यह मेरी रूह हरपल भटकेगी.... ------------¤¤¤¤¤------------ यह दिल भी मेरा बड़ा पत्थर ठहरा इस पर लिखा तेरा नाम मिटता नही, यह सर भी मेरा पर्वत सा सख्त है एक तेरे दर के सिवा कही झुकता नही, यह आँखे बड़ी बेबफाई करती है मेरे साथ एक तेरी सूरत के अलावा इन्हें कुछ दिखता नही, फकत तेरी चाहत की जुस्तुजू में दोस्त दिल मेरा दूसरा कोई ख्वाब बुनता नही, लिखने को तो सारी उम्र यूँ ही लिखता रहूँगा पर दिल का दर्द मेरा लफ़्ज़ों में सिमटता नही, तूने गैर ही बनाके रक्खा जिंदगी भर मुझे मै तो ख्वाब में भी तुझे पराया कहता नही , भूले से कही तेरा ज़रा सा भी दर्द न बढ़ जाये कही सोंचकर तेरी तस्वीर के सामने भी कभी रोता नही, इस बेबसी के पिंजरे से बड़ी मोहब्बत हो गयी मुझे इससे आज़ाद होने की बात अब मैं कभी करता नही, तेरी बाहों में मर ही जाऊ तो ज़न्नत मिले संजू यूँ तो बेवजह वक्त से पहले मै भी मरता नही.... .... Next---> सारी दुनिया में एक बही तो था जो इस दिल को शिद्दत से भाया था, हमेशा ऐसा ही महसूस हुआ मुझे की खुदा ने मेरे लिए ही उसे बनाया था, अजीब कशिश थी उस शख्श में खुदा पहली नजर में ही दिल हार आया था , वो पल मुझे जिन्दगी से भी अज़ीज़ है जब मैंने पहली बार उसके हाथों से हाथ मिलाया था, यूँ तो जिंदगी में कभी पलकों से आंसू ना गिर सके एक उसके लिए ही इन आँखों को कई बार रुलाया था, यूँ तो सदियों की प्यास थी इन होंठों पे प्यार की पर वक्त ने मुझे एक-एक बूंद को तरसाया था, कितनी बदनसीबी लेकर हम आये है इस जहा में मेरा था पर पर एक पल को न उसको पाया था, वो तो बेकसूर है आज भी अपने आप में मुझे ही वक्त ने कई बार आजमाया था , वो जहा भी रहे हर ख़ुशी हो वहा जमाने की हर दर पे यह अनीता 'अनु' यह दुआ कर आया था....

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