Sunday, 1 September 2013
तुम से मिलने के बाद
ये हालत हमारी हो गई तुम से मिलने के बाद,
जिन्दगी प्यारी हो गई है तुम से मिलने के बाद,
हर चीज में एक अजब रंग है महोब्बत का..
हर चीज प्यारी हो गई है तुमसे मिलने के बाद..
♥ °°◦:: ʟσνє ∂ɪє ::◦°° ♥
♥ °°◦:: ʟσνє ∂ɪє ::◦°° ♥
शीशे और दिल मे बस इतना सा फर्क होता है कि शीशा आवाज करके टूटता है लेकिन दिल तो दर्द करके टूटता है
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यूँ ही बेवजह दिया कभी खुद को कभी जमाने को इल्जाम /
सच तो यह हैं कि हर नाकामी में मेरी , मेरा ही तो कसूर था //
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ऐसे ही कभी कभी हुआ जब भ्रम मंजिल पाने का /
सच तो यह था कि मंजिल से अभी मैं बहुत दूर था //
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साथ था कोई मेरे हरदम , हर गम हर ख़ुशी में समझ सका न मैं राज यह /
सच तो यह है कि समाया हुआ हर रंग,हर शै में उसका ही नूर था //
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राहें तो राहें हैं , मिले न गर मंजिल तो उनका क्या कसूर /
सच तो यह है कि किस्मत को भी हमारीयही मंजूर था//
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दिल अब शीशे सा दिखने लगा है,
वफ़ा भूल कई बार बिकने लगा है |
खो चूका है अपना वजूद इस तरह
कि मंडी में कोडियों बिकने लगा है |
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एक अजीब सा मंजर नज़र आता है,
हर एक आँसु समंदर नज़र आता है,
कहाँ रखू मैं शीशे सा दिल अपना,
हर किसी के हाथ में पत्थर नज़र आता है..
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तुझे तड़पाने को दिलभर.....हमारा जी नहीं करता,
मगर कुछ लुत्फ़ लूं तुमसे ये अक्सरभूल जाता हूँ |
कभी पावों में ठोकर जब पड़ी तो खुद ही संभला मैं ,
मगर रुखसार पर यूँ देख कशिश सब भूल जाता हूँ |
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कभी हाँ खुद की हद को खुद खुदा भी भूल जाता है,
किसी का लाल मेरा ये फ़र्ज़ अब हर साल आता है |
तुझे खुशियाँ मुबारक सब..मगर तू देदुआ उसको ,
खुदा हर साल मुहब्बत से...तेरा दामन सजाता है |
जन्म दिन तेरे साहिल का सजा ले खुद को फूलों से,
अभी 'सौरभ' फलक से तोड़ कर तेरे ख्वाब लाता है |
दुआ है कामयाबी के शिखर ..पे नाम हो दोनों का,
मगर हिम्मत भी रखना मुश्किलों का दौर आता है |
जन्म दिन आज ऐसा.. सुन रहा शहनाइयां इतनी,
खुदा भी आसमां पे आज सितारे खूब चमकाता है |
दुआ मेरी खुदा से तुझको अब से कोई गम न हों ,
चाहे न हों यहाँ हम भी चलन खुद ही समझाता है |
जन्म दिन आज तेरा हमको दिल से खूब सुहाता है,
तेरे संग संग मेरे रग रग में खुशियाँ खूब चलाता है |
जन्म-दिन बहूत बहूत मुबारक
ज़िन्दगी एक सराए ही तो है
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क्यूँ अपने दिल को सराए का खिताब दे डाला,
बे-वज़ह सुख-दुःख रुकेंगे नया सवाब दे डाला |
किस तरह निभाओगे रोज़मर्रा की सहूलियतें ,
किस तरह नए ज़ख्मों का ये हिसाब दे डाला |
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तूने प्यार का जो आह्वान किया हैरान हो गया,
रिश्ता बदल अहतराम किया परेशान हो गया |
अब किस तरह बदले हैं ये दिन-रात औरपहर,
ये देख कर मैं आज मगर सुलेमान हो गया |
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ये तूने किस तरह हाज़िर किया है तल्ख़ नजराना,
भला अब होगा क्या उसका, जो तेरा होगा दीवाना |
ये तेरी बे-रुखी न जाने.......... तब क्या रंग लाएगी,
अगर होगा न कोई दाग....... ज़ख़्मी होगा परवाना |
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तुझे तड़पाने को दिलभर.....हमारा जी नहीं करता,
मगर कुछ लुत्फ़ लूं तुमसे ये अक्सरभूल जाता हूँ |
कभी पावों में ठोकर जब पड़ी तो खुद ही संभला मैं ,
मगर रुखसार पर यूँ देख कशिश सब भूल जाता हूँ |
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तू रिश्ता बन मेरे सीने में धड़का मगर तडपा गया,
महका किया बन गुलिस्ताँ अब जाने क्यूँ मुरझा गया |
जिन शहरों में मैखाने हैं, जिन हाथों में पैमाने हैं,
उनका सफ़र तन्हा लगे यही गम मुझे उलझा गया |
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बेवज़ह तू दो पल जुदा हुई,
शायद तू खुद न रिहा हुई |
जब मुस्तकबिल तेरा यहाँ,
काहे को तू फिर विदा हुई |
तुझे रंज कोई कलम से है ,
फिर नराज़गी क्या अदा हुई |
दुश्मन था पहले ही ताब पे ,
जो थीं हसरतें यूँ फना हुई |
तू समन्दरों की प्यास फिर,
दरिया पर क्यूँ तू फ़िदा हुई |
सर रख तू रो जिन कांधों पे,
तू समझ 'अनु'' से अता हुई |
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मुझे वो दिल से मिले गुल तभी गुलजार हुए,
सबब था कुछ भी मगर अब मेरे सरकार हुए |
जहाँ थे चर्चे उनके शहर तक अफसानाहुआ ,
मेरी रग-रग में आज नशे के कारोबारहुए |
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मैं तो अपने दर से बिछुड़ गया,
न सफ़र में था पर किधर गया |
यूँ ही करके खूँ अब भरोसे का,
वो गया, मगर न ज़हर गया |
मेरी भड़के आग तहरीरों में,
जाने अब कहाँ वो हुनर गया |
न है रंज मुझे न शिकन कोई ,
अब ख़्वाबों से भी ज़िकर गया |
था चिराग दिल में जो बुझ गया,
जो भी ज़हन में था फिकर गया |
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टूटकर बिखरा है मुक़द्दर उसका खफा निकला,
परिंदा था इश्क का हमसफ़र बे-वफ़ा निकला |
किस तरह बताये वो अपनों के दिए ज़ख्म अब ,
खरोंच तो आयी दिल से जितनी दफा निकला |
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देखकर तस्वीर तेरी रगों में खून मेरा दौइने लगा है,
गर तू इश्क मे है मुब्तिला तो आज इसे हटा देना |
दिल का समंदर शांत था मगर आज उफान पर है,
कुछ अश्क पी चूका हूँ कुछ तुम पी कर सुला देना |
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जाने किस ख्याल से ये मंसूबे बनाएउसने,
ज़हर देकर बचने के नुस्खे भी बतायेउसने |
किस तरह कहूँ ये इश्क था या नफरत उसकी,
दुनियां को क्या-क्या फलसफे सुनाये उसने |
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मुझे वो दिल से मिले गुल तभी गुलजार हुए,
सबब था कुछ भी मगर अब मेरे सरकार हुए |
जहाँ थे चर्चे उनके शहर तक अफसानाहुआ ,
मेरी रग-रग में आज नशे के कारोबारहुए |
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मैं तो अपने दर से बिछुड़ गया,
न सफ़र में था पर किधर गया |
यूँ ही करके खूँ अब भरोसे का,
वो गया, मगर न ज़हर गया |
मेरी भड़के आग तहरीरों में,
जाने अब कहाँ वो हुनर गया |
न है रंज मुझे न शिकन कोई ,
अब ख़्वाबों से भी ज़िकर गया |
था चिराग दिल में जो बुझ गया,
जो भी ज़हन में था फिकर गया |
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